हौसलों की उड़ान – दूसरों के लिए प्रेरणा बनी “नीतू अरोरा”

हौसलों की उड़ान – दूसरों के लिए प्रेरणा बनी “नीतू अरोरा”

मेरा नाम नीतू अरोडा हैं। मैं हिमाचल प्रदेश से हूँ।मेरे जन्म के अगले 3साल तक मैं बिल्कुल स्वस्थ थी। लेकिन 3साल बाद अचानक मेरे मम्मी पापा ने मुझमें कुछ बीमारी के symptoms देखे। मैं चलते चलते जरा सा किसी का हाथ लग जाने पर गिरने लगी,गिरने के बाद खड़े होने के लिए help की जरूरत पड़ने लगी। उन्होंने तुरंत मुझे डॉक्टर को दिखाया। कई तरह के treatment शुरू हो गए। मम्मी पापा ने बहुत मेहनत की मुझ पर।छोटे से लेकर बड़े तक हर तरह का treatment करवाया लेकिन मेरी बीमारी बढ़ती रही।10 साल की उम्र तक हाथ पकड़ कर सहारे से चलती रही लेकिन उसके बाद मेरा चलना बन्द हो गया। आज 20 सालों से मैं व्हीलचेयर पर हूँ। मेरे मम्मी पापा ने अपना होंसला बुलंद रखा,मुझे अच्छी ज़िन्दगी देने में जुट गए। मुझे हिम्मत दी मुझे पढ़ाया घरवालों के खिलाफ जाकर। घरवाले कहते थे क्यों पढ़ा रहे हो चल नही सकती पढ़ कर क्या करेगी।पढ़ाई को लेकर बहुत सी प्रॉब्लम आई स्कूल कैसे जाऊ, कॉलेज कैसे जाऊ,हर जगह सीढिया होती थी।बहुत ही कठिन थी पढ़ाई की डगर। लेकिन मेरे मम्मी पापा ने हिम्मत नही हारी और मुझे पढ़ाते रहे।मुझे बचपन से लिखने का शौक भी था जो मन में आता कागज पर लिख देती लेकिन कागज़ को कभी सम्भालती नही। एक दिन मम्मी ने मेरी लिखी हुई poem पढ़ी फिर मुझे डायरी लाकर दी और कहा जो लिखो इसमें लिखो। पापा ने मेरी लिखी कविता को अखबार में publish के लिए भेजा। और मेरा लिखने का सफर शुरू हुआ। मुझे वाहेगुरु से शिकवा नही है कि उन्होंने मुझे टाँगे देकर भी चलाया नही। अरे वाहेगुरु ने मुझे वंडरफुल मम्मी पापा दिए,ग्रेट भाई बहन दिए और क्या चाहिए ज़िन्दगी में।हमें जो नही मिला उसका शिकवा ना कर के जो मिला है उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए। हाँ हम इंसान हैं कभी कभी टूट जाते है। मैं भी रोती हूँ, बिखर जाती हूँ लेकिन फिर हिम्मत करके खुद को समेटती हूँ। अब मेरे पापा अब इस दुनिया में नही हैं,उनके जाने के बाद बहुत टूट गई थी लेकिन उनकी सिखाई हर चीज़ मेरे साथ हैं। मम्मी ने, भाई,बहन ने बहुत साथ दिया वापिस हिम्मत दिलवाई। बहुत मुश्किल होता है एक हैंडीकैप्ड के लिए जीवन जीना। एक आम इंसान सोच भी नही सकता किस तरह की मुश्किलों का हर रोज हमे सामना करना पड़ता हैं लेकिन फिर भी जी रहे है जिना तो पड़ेगा रोकर जियो या हंस कर तो क्यों ना हंस के जीया जाए।लेकिन मुझे उन लोगों से हैरानी होती जिनके हाथ पैर हैं और अपना सभी काम खुद कर सकते हैं लेकिन फिर भी मरना चाहते हैं। अरे एक ज़िन्दगी हैं जो भी हालात हैं डट के मुकाबला करो ज़िन्दगी को सुपरहिट बनाओ। मरना तो है ही, जब मौत आएगी मर जायेंगे तब तक तो अच्छे से जी लो। कोरोना के समय में जब ऑनलाइन स्कूल की classes स्टार्ट हुई,तो मुझे आईडिया आया कि क्योंना इस टेक्नोलॉजी का use कर के मैं उन लोगो को पढ़ाऊँ जीने बाहर जाकर पढने में किसी भी तरह की प्रॉब्लम हैं। क्योंकि जब मैंने अपनी पढ़ाई की थी तब इस तरह की facilities नही थी और मेरे मम्मी पापा को बहुत प्रॉब्लम आई थी मुझे पढ़ाने में। इसलिए मैंने अपने पापा के नाम से “(आई ए सपा) इंदर अरोडा स्पेशल पीपल अकैडमी” शुरू की हैं जो ऑनलाइन एजुकेशन और हेल्थ अकैडमी हैं जिसमे हम इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स,कंपीटिटिव exams की तैयारी करवा रहे हैं। जो लोग फीस दे सकते हैं उनसे सिर्फ ₹300 ले रहे हैं और जो नही दे सकते हैं वे लोग फ्री में पढ़ रहे हैं। मेरी इस अकैडमी को जुलाई में 2 साल हो जायेगे। तीन बेहतरीन टीचर भी इस अकैडमी में फ्री पढ़ा रहे हैं। मिस्टर ललित,मिस्टर भारत और मिस्टर राजू यादव मेरा साथ दे रहे हैं जिनके साथ बिना ये असम्भव था। आजकल मैं अपनी मम्मी और भाई भाभी के साथ चंडीगढ़ में रह रही हूं। मेरा सपना हैं एक दिन “आई ए सपा” बहुत बड़ी अकैडमी बने। मुझे गाने लिखने का शौक हैं ।इस तरफ मैं कदम बडा चुकी हूँ धीरे धीरे ही सही चल रही हूं कभी ना कभी मुझे मंज़िल मिलेगी मुझे यकीन हैं। SMS NIRSU के साथ एक गाना release हो चुका हैं। https://www.youtube.com/watch?v=21WMdTmyNus&sns=em मैं चाहती हूँ शाहरुख खान मुझे “बेस्ट लिरिसिस्ट ऑफ द ईयर” का अवार्ड दे। “लोगों ने कहा अपाहिज हो घर पर रहो मम्मी पापा ने कहा चलती तो सारी दुनिया हैं हाथ थामा और उड़ना सीखा दिया”

आभार – नीतू अरोरा , हिमाचल प्रदेश

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Comment (1)

  • Jagdish Vikma Reply

    Me Devbhumi Dwarka Gujarat se Jagdish Vikma Nitu mem Aap To Muje Janti Ho

    April 9, 2022 at 10:08 am

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