कहानी विश्वास और प्यार की – दिव्यांग बच्ची नूपुर और उनके शिक्षिका तनु मेम की …

हमारे देश में गुरु को बहुत सम्मान दिया जाता है उन्हें माता -पिता के बराबर स्थान दिया जाता है क्यूंकि गुरु अपने ज्ञान से बच्चों के जीवन को रोशन करते है। वे अपने बच्चों को शिक्षा देते हैं जिससे बच्चे अपने जीवन में आत्मनिर्भर हो सके। ये कहानी हैं एक ऐसी गुरु की जिसने अपने विश्वास ,प्यार और ममता से एक लड़की को जीना सिखाया हैं उन्होंने एक दिव्यांग लड़की के लिए आत्मसम्मान के नए अर्थ लिखे। ये वो गुरु हैं जिनसे दुनिया को सीखना चाहिए कि माँ बनकर साथ और प्यार कैसे दिया जाता हैं। ये कहानी हैं श्रीमती अपर्णा जोशी “तनु मैंम ” की जिन्होंने अपने प्यार और विश्वास से मेरा जीवन बदला और मुझे अपनी बेटी बनाया । नूपुर चौहान एक दिव्यांग लड़की हूँ जो कानपुर में अपने नाना नानी और परिवार के साथ रहती हूँ। मेरा जन्म मेजर ऑपरेशन से हुआ था। ऑपरेशन के दौरान मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर की लापरवाही से मैं दिव्यांग हो गयी लेकिन फिर भी मेरे परिवार ने कभी हार नहीं मानी मेरे नाना – नानी ,चार मौसियों और माता -पिता ने मेरे इलाज और शिक्षा के लिए अथक मेहनत की अपने परिवार की इसी मेहनत और तपस्या के कारण मैंने ११ साल की उम्र में बिना किसी सहारे के धीरे -धीरे चलना सीख लिया था और मैं अपने घर के पास एक स्कूल में पढ़ने जाती थी क्लास फिफ्थ के बाद मेरे परिवार ने ये फैसला लिया कि अब बेहतर भविष्य के लिए वो मुझे एक अच्छे और बड़े स्कूल में भेजेंगे पर ये सब इतना आसान नहीं था दिव्यांगता के कारण कई स्कूलों ने मुझे एडमिशन देने से मना कर दिया था क्यूंकि उन्हें लगता था कि उन्हें मेरी तरफ ज्यादा ध्यान देना होगा लेकिन फिर भी मेरी छोटी मौसी और माँ ने हार नहीं मानी और आख़िरकार इन् दोनों की कोशिशों के कारण हमें सन २००० जुलाई में हमारे क्षेत्र के प्रतिष्ठित मॉडर्न हायर सेकेंडरी स्कूल में एडमिशन मिल गया – वह स्कूल जहा से मेरे एक नए सफर की शुरुआत हुई यहां हमें मिली हमारी तनु मैंम जिन्होंने हमें आत्मविश्वास से जीने का मतलब सिखाया उनसे मिलने के बाद मेरे अंदर खुद को लेकर एक नए नज़रिये का जन्म हुआ अपने इस नए सफर के बारे में बताने से पहले ये कहना चाहेंगे कि तनु मैम ने हमें इसीलिए नहीं चुना क्यूंकि हम बहुत अच्छी बेटी है बल्कि इसीलिए चुना क्यूंकि वह बहुत अच्छी माँ है लोगों का स्कूल उनके जीवन में बहुत अच्छे बदलाव लेकर आता है लेकिन मॉडर्न स्कूल मेरे जीवन में इन् बदलाव के साथ दो खूबसूरत रिश्ते लेकर आया – एक हमारी मैम और एक मेरी बेस्ट फ्रेंड दिव्या। हमारे लिए मॉडर्न स्कूल हमेशा बहुत स्पेशल रहेगा क्यूंकि यहाँ पहुँच कर हमने खुद को पहचाना और इस स्कूल के इतने स्पेशल होने का श्रेय जाता है हमारे स्कूल के प्रिंसिपल सर स्वर्गीय श्री नवीन चंद्र जोशी जी को जिन्होंने हमेशा ये माना कि शिक्षा पर सबका अधिकार है और अपनी इसी सोच को सच करते हुए उन्होंने हमें अपने स्कूल में क्लास सिक्स्थ में एडमिशन दिया और प्रिंसिपल सर की इसी सोच को आगे बढ़ा रही है उनकी बेटी हमारी तनु मैडम जो मेरी जैसी लड़की की टीचर से सुपरमॉम बन गयी और मेरा जीवन बदल दिया उनसे मिलने से पहले हम खुद को औरों से अलग और कमतर मानते थे लेकिन उन्होंने हमे सिखाया कि लोगों से अलग होना गलत बात नहीं है। तनु मैंम से हम पहली बार सन २००० दिसंबर में मिले जब वो हमारी क्लास में इंग्लिश पढ़ाने आयी हम अपने स्कूल जीवन में हमेशा एक औसत छात्रा थे फिर भी उन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया आज भी याद है स्कूल में जब कोई टीचर कहती नूपुर अलग है तो ये कहती मेरी नूपुर अलग है क्यूंकि ये स्पेशल है उनके कहे यही शब्द मेरी हिम्मत, प्रेरणा और आत्मविश्वास बन गए और यहीं से शुरुआत हुई मेरे व्यक्तित्व के नए अध्याय की और इसका सारा श्रेय जाता है हमारी मैंम को जिन्होंने मेरी टीचर से बढ़कर मेरी माँ बनना चुना। हर बच्चे और माँ का रिश्ता भगवन तय पर तनु मैंम ने मेरी माँ बनना खुद चुना। ये उनकी ममता और निस्वार्थ प्यार ही है जिसने हमें हमेशा आगे बढ़ना सिखाया पिछले २२ सालों से वो जितनी अच्छी माँ है उतनी अच्छी बेटी हम कभी नहीं बन पाए लेकिन फिर भी उनकी ममता और प्यार मेरे लिए कभी कम नहीं हुआ मेरा विश्वास है कि हर लड़की को माँ सरस्वती कुछ विशेष आशीष देती है लेकिन मुझे जीवन में उनकी कृपा और आशीष दोनों मिले क्यूंकि उन्होंने मेरे जीवन में तनु मैंम को भेजा उन्होंने क्लास सिक्स्थ से टेंथ तक हमें पढ़ाया उन्होंने हमें इंग्लिश बोलना सिखाया उन्होंने मेरी प्रेरणा बनकर हमेशा मेरा हौसला और आत्मविश्वास बढ़ाया वो हमेशा कहती है मेरी नूपुर झाँसी की रानी है जो सब ठीक कर लेंगी उनका मेरे लिए प्यार और विश्वास देखकर आश्चर्य होता है कि वो मेरे लिए इतना विश्वास और प्यार लाती कहाँ से है वो मुझ पर तब भी विश्वास करती है जब मुझे खुद पर विश्वास नहीं होता है मैंम ने हमेशा मेरा साथ दिया क्लास टेंथ में जब हम पैसे कि कमी के कारण सोशल साइंस कि गाइड नहीं खरीद पा रहे थे तो उन्होंने हमें पूरे साल पढ़ने के लिए अपनी गाइड दी टेंथ में हमारे स्कूल में रोज शाम को एक्स्ट्रा क्लास चलती थी हमेशा एक्स्ट्रा क्लास ख़तम होने के बाद जब तक हम रिक्शा पर बैठ नहीं जाते थे तब तक वो स्कूल गेट पर खड़ी रहती थी बाये हाथ से लिखने के कारण मेरी लिखने की स्पीड धीमी है टेंथ के बोर्ड एग्जाम के पहले जब हमने उनसे कहा कि मेरी लिखने कि धीमी स्पीड होने की वजह से पता नहीं हम टेंथ पास होंगे या नहीं तो उन्होंने कहा की तुम जरूर पास होगी उनके कहे शब्द सच साबित हुए और हमने टेंथ पास कर लिया मैंम और मेरा रिश्ता गुजरते वक़्त के साथ मजबूत होता गया और वो मेरी मैंम से मेरी सुपरमॉम बन गयी क्लास टेंथ के बाद आगे की पढाई हमने दूसरे स्कूल से की लेकिन स्कूल बदलने के बाद भी तनु मैंम का प्यार मेरे लिए कभी काम नहीं हुआ और न ही उन्होंने मेरा साथ छोड़ा बल्कि यहाँ से मेरे जीवन के सफर और हमारे रिश्ते का नया दौर शुरू हुआ जिसमे मैंम ने अपनी झाँसी की रानी को दुनिया और हालातों का सामना करना सिखाया, आत्मसम्मान का मतलब समझाया उनकी प्रेरणा, प्यार और परिवार के साथ से हमने अपनी ग्रेजुएशन तक की पढाई पूरी की पढाई पूरी करने के बाद हमने सरकारी नौकरी की प्रतियोगी परीक्षाओं की तयारी शुरू की और साथ ही अपने घर पर एक कोचिंग सेंटर खोला जिसके बारे में जानकर मैंम बहुत खुश हुई मैंम ने आज तक मेरी हर छोटी से छोटी कोशिश को सराहा है और मेरे हर डर से निकलने में मेरी मदद की और पूरा साथ दिया फिर चाहे वो डर क्लास फिफ्थ के ऊपर के लड़कों को कोचिंग पढ़ने का डर हो या व्हीलचेयर का डर हो एक बार जब हमने उन्हें बताया कि हमें क्लास फिफ्थ के ऊपर के लड़कों को पढ़ने में डर लगता है तो उन्होंने हमें बहुत समझाया उनके और उनके समझाने के बाद हमने उनकी बात मानकर हमने फिफ्थ के ऊपर के लड़को को पढ़ाना शुरू किया इसके बाद मेरी कोचिंग उनकी प्रेरणा और मेरी थोड़ी सी मेंहनत से ठीक चलने लगी मैंम ने पिछले २२ सालों में कभी हमें अकेला नहीं पड़ने दिया लोग शादी के बाद अपने जीवन में व्यस्त हो जाते है लेकिन मैंम अपनी शादी के बाद भी मेरा साथ देती रही यहां तक कि उनके अपने २ बच्चे होने के बाद भी उनका प्यार और साथ मेरे लिए कम नहीं हुआ आज भी हम बेझिझक उन पर अपना अधिकार जताते है फिर भी कभी खुद उन्होंने,सर या उनके बच्चों ने कभी हमें रोका नहीं। आज भी याद है हमें जब हमने अपनी कोचिंग शुरू करने के ६ साल बाद जब हमने उसका बोर्ड बनवाकर अपने घर पर लगाया तो वो बहुत खुश हुई थी हम अपनी जिंदगी में मैंम के साथ, प्रेरणा और अपने परिवार के दम पर लगातार आगे बढ़ने कि कोशिश कीऔर ऐसी ही एक कोशिश थी साल २०१७ में राज्य बीएड प्रवेश परीक्षा पास करके बीएड में एडमिशन लेना हमने पहले साल की पढ़ाई भी पूरी कर ली थी लेकिन पैसे की कमी के कारण दूसरे साल की पढाई नहीं कर पाए मैंम को जब ये बात पता चली तो ये हमसे गुस्सा हुई क़ि हमने उन्हें क्यों नहीं बताया मैंम ने कभी भी मेरी नाकामियों को मेरे ऊपर हावी नहीं होने दिया लगातार मेरी असफलताओं के बाद भी उनका प्यार मेरे लिए कम नहीं हुआ। अगर मैंम न होती तोह हमने कब की हार मान ली होती इनके साथ ने हमेशा हमें मजबूत बनाया और इसी साथ ने साल २०१९ में मेरी जीवन की दिशा बदल दी इसी साल हमने अपनी माँ के कहने पर टीवी के चर्चित शो कौन बनेगा करोड़पति में हिस्सा लिया अपने परिवार और तनु मैंम के आशीर्वाद से हम शो का शुरुआती राउंड पार करके हम मुंबई पहुँच गए हम वहाँ पहुंचकर बहुत खुश थे लेकिन ५ अगस्त २०१९ से ७ अगस्त २०१९ तक लगातार कोशिश करने के बाद भी हम फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट पार नहीं कर पाए थे हम एक बार फिर बहुत निराश थे ८ अगस्त को शूटिंग पर जाने से पहले हमने मैंम को फ़ोन किया और इनसे कहा कि मैंम हम फिर हार गए तो इन्होने कहा कि इस बार मेरी बेटी कुछ अलग करेगी और हारना तो मेरी झाँसी की रानी ने सीखा ही नहीं और एक बार फिर इनके विश्वास ने मेरी जिंदगी बदल दी और उस दिन हम फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट पार करके शो की हॉटसीट तक पहुँच गए और हमने १२ लाख ५० हज़ार रुपये भी जीत लिए इनकी प्रेरणा और विश्वास से हमें ज़िन्दगी में पहली बार लोगों से इतना सम्मान मिला लोग हमें पहचानने लगे अचानक से एक आम लड़की ख़ास हो गयी शो के दौरान जब इनसे मेरी बात कराई गयी तोह इन्होने कहा कि नूपुर है तो सब पॉसिबल है ये मेरी ज़िन्दगी के सबसे खूबसूरत शब्द है ये हमेशा कहती है कि मेरी नूपुर जैसा कोई नहीं जबकि सच ये है कि अगर ये न होती तो हम कब के हार जाते पर हम हारे नहीं क्यूंकि इन्होने हारने दिया नहीं ये वो है जिसने अपनी ३२ साल कि नूपुर का बचपना संभाल के रखा है आज भी ये हर चिल्ड्रेन्स डे पर हमें फ़ोन करती है ये चाहे जितनी व्यस्त हो इन्हे हमेशा मेरा बर्थडे याद रहता है और ये उस दिन को मेरे मेरे लिए ख़ास बना देती है ये कहती है कि हम दुनिया सबसे अच्छी बेटी है जब भी मेरे मन में निराशा का अँधेरा छाने लगता है तो ये मेरे लिए विश्वास और हिम्मत कि रौशनी बन जाती है हम जब भी बहुत परेशान होते है तो इनसे बात करते और अपने मोबाइल में इनकी फोटो देहते है और फिर सब ठीक हो जाता है एक बार बहुत परेशान होकर हमने इनसे पूछा कि मैंम आज सच बताइयेगा कि हम कैसी बेटी है तो इन्होने अपनी ममता और प्यार से मेरे नाम को नया अर्थ दिया ये वो है जिन्होंने मेरी किस्मत नए सिरे से लिखी।
इस कहानी के अंत में हम ये कहना चाहते है कि काश हर लड़की को एक तनु मैंम मिले जो उसे कभी हारने न दे और हम अपनी बात फिर से दोहराते है – “तनु मैंम ने नूपुर को चुना क्यूंकि वो बहुत अच्छी माँ है और वो जितनी अच्छी माँ है उतनी अच्छी बेटी तो हम कभी बन ही नहीं पाए “मेरी हर कोशिश कहानी है तनु मैंम के विश्वास और प्यार की उन्होंने अपनी ममता और प्यार से मेरे साथ एक ऐसा रिश्ता जोड़ा जिसे देखकर मन कहता है एक रिश्ता ऐसा भी
मिलिए नूपुर की तनु मैंम से- मेरी सुपरमॉम और सुपरवूमन
Written by : Noopur Chauhan, Unnao, Uttar Pradesh
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