डाउन सिंड्रोम और परवरिश
नमस्कार मैं नूपुर फिर अपने लेख के जरिये आप सबसे मिलने आयी हूँ अपने पिछले लेख में हमने आप सबसे डाउन सिंड्रोम के विषय में बात की थी आज के लेख में हम डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे की परवरिश के तरीको के विषय में बात करेंगे। अगर किसी बच्चे को डाउन सिंड्रोम है तो उसके माता -पिता को ये बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए कि वह जीवन में कुछ नहीं कर सकता है जरुरत है तो सिर्फ बच्चे को अपन साथ और विश्वास देने की। इस नव वर्ष में आइये हम सब मिलकर सारे विशेष बच्चों और उनके माता -पिता को ये विश्वास दिलाते है कि अलग होने का अर्थ गलत होना बिल्कुल नहीं हैं।
आइये अब डाउन सिंड्रोम में परवरिश के तरीको के विषय में बात करेंगे और इस लेख के अंतिम हिस्से में आपको एक ऐसी लड़की के विषय में बताएँगे जिसकी परवरिश ने ये साबित कर दिया कि डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे भी एक आत्मनिर्भर जीवन जी सकते हैं।
भारत में डाउन सिंड्रोम बच्चों की संख्या- एक शोध के अनुसार हमारे देश में प्रतिवर्ष ३७,००० डाउन सिंड्रोम के विकार के साथ जन्म लेते है। स्वास्थ्य सेवा में प्रगति डॉक्टरों को यह पता लगाने में मदद कर रही है कि गर्भावस्था के कुछ महीनों के भीतर स्कैन और रक्त परीक्षण के माध्यम से भ्रूण को डाउन सिंड्रोम है या नहीं।
यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनका माता-पिता इस स्थिति वाले बच्चों की परवरिश करने के लिए पालन करना चाहिए-
१ प्राथमिकताएं तय करें- डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत है। उनके लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करें। उन्हें यह महसूस न होने दें कि वो आपके लिए जरूरी नहीं है।
२ एक निर्धारित दिनचर्या रखें- इससे उन्हें अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी। प्रत्येक गतिविधि के लिए एक समय निर्धारित करने से उन्हें समायोजित होने में मदद मिलेगी।
३ भावनाएं व्यक्त करने के लिए विभिन्न संकेतों का प्रयोग करे- डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को बोलने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं माता-पिता को आंखों की गति, चेहरे के भाव, हाथों के इशारों और अन्य माध्यमों का उपयोग कर भावनाएं व्यक्त करनी चाहिए जिसे बच्चा समझता है।
४ कभी भी बच्चे को डाउन सिंड्रोम के लिए दोष न दे- माता-पिता को कभी भी आपा नहीं खोना चाहिए और बच्चे को दोष नहीं देना चाहिए। कभी भी उनके साथ दुर्व्यवहार न करे। बच्चे को हमेशा प्रोत्साहित करें।
५ बच्चे को सिखाने के लिए खेलविधि का प्रयोग करे – डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे को खेलविधि के द्वारा चीज़ों को सरलता से सिखाया जा
सकता है। जब बच्चा खिलौनों से खेलता है, तो वस्तुओं, नामों और अन्य चीजों के विषय में बताए।
६ उनकी वृद्धि और विकास में मदद करें: डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे आमतौर पर रेंगने, चलने और बात करने में धीमे होते हैं, लेकिन आप फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी आदि के माध्यम से उनकी वृद्धि और विकास में सहायता कर सकते हैं।
७ तथ्यों पर विश्वास करें बातों पर नहीं -यदि आप बीमारी के बारे में उन चीजों के उत्तर चाहते हैं जिन्हें आप नहीं जानते हैं, तो शोध करने में समय व्यतीत करें। विशेषज्ञों से संपर्क करें।इस बीमारी से पीड़ित अन्य बच्चों के माता- पिता से संपर्क करे अपनी समस्या उन सब के साथ
साझा करें। ऐसा करने से आपको अपनी समस्या का समाधान मिल सकता है।
परवरिश के तरीकों के बाद अब हम आपको बताते हैं एक ऐसी लड़की जिसके माता- पिता और खुद उसने इस बीमारी से ग्रस्त लोगों के लिए समाज की धारणा बदल दी –
अदिति वर्मा- खारघर नवी मुंबई में अमित वर्मा और रीना वर्मा नाम के दम्पति के घर साल १९९४ में उनकी बेटी अदिति ने जनम लिया वे दोनों अपनी बेटी के जनम को लेकर बहुत खुश थे लेकिन तभी उन्हें डॉक्टर ने बताया कि उनकी बेटी डाउन सिंड्रोम नामक बीमारी से ग्रस्त हैं ये सुनकर उन् दोनों को धक्का लगा लेकिन उन दोनों ने अपने आप को हिम्मत दी और तय किया कि वे दोनों अपनी बेटी को बहुत अच्छा और आत्मनिर्भर जीवन देंगे और फिर शुरू हुई अपनी बेटी के लिए माता पिता की अनवरत तपस्या-
अदिति के जीवन के शुरूआती साल काफी कठिन रहे मात्र ढाई साल की उम्र में हृदय में छेदहोने के कारन उनका ऑपरेशन करना पड़ा
उनके माता- पिता ने कभी भी उनमे और उनके भाई में कोई फर्क नहीं किया तमाम मुश्किलों के बाद जब अदिति ने स्कूल जाना शुरू किया तो स्कूल में, दूसरे बच्चे उसके साथ नहीं खेलते थे औरउनके साथ बुरी तरह से पेश आते थे जब उनके माता -पिता को ये पता चला तो उन्होंने अपने एक पारिवारिक सदस्य जो खुद एक डॉक्टर थे के कहने पर एक विशेष स्कूल में स्थानांतरित कर दिया वह पर अदिति ने पढ़ाई के साथ नृत्य और नाटक में अभिनय करना सीखा। इसके साथ ही बड़े होने पर अदिति ने खाना बनाना और यूट्यूब से बेकिंग करना सीखा उनके माता- पिता ने हमेशा अपनी बेटी का साथ दिया अदिति के आत्मनिर्भर जीवन का प्रारम्भ तब हुआ जब उसने अपने माता-पिता की कंपनी में डेटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में काम करना शुरू किया और इसमें अच्छी हो गई। वह एक महत्वाकांक्षी लड़की होने के नाते अपना बिज़नेस शुरू करना चाहती थी। ये बात सुनकर उनके माता-पिता बहुत खुश हुए और उन्होंने पूरा साथ दिया जल्द ही अदिति के मन में एक कैफे का विचार आया
इसके बाद उनके माता- पिता ने अदिति का कैफ़े उसी बिल्डिंग में सेट कराया जहाँ उनके परिवार का उसके परिवार का ट्रांसपोर्ट और डिस्ट्रीब्यूशन सेटअप है।पिछले लगभग सात साल से वह यहाँ खुद कैफे चलाती हैं और निरंतर सफलता की नयी इबारत लिख रही हैं साल २०१९ में उन्हें एक प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया अदिति की सफलता का श्रेय जाता हैं उनकी मेहनत और माता पिता की तपस्या को जिन्होंने साबित किया कि माँ पिता के लिए कुछ असंभव नहीं हैं
Article by: Noopur Chauhan, Jr. Editor, Ability India, Kanpur, UP
Feature Photo taken from https://www.asianage.com/life/more-features/150619/different-stroke-couple-adopts-child-with-down-syndrome.html
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