डाउन सिंड्रोम: अनुवांशिक विकार
डाउन सिंड्रोम एक अनुवांशिक विकार है, जो गुणसूत्र (क्रोमोसोम) असामान्यता के कारण होता है। डाउन सिंड्रोम किसी भी बच्चे में जन्म से ही मौजूद होता है। यही वजह है कि डाउन सिंड्रोम को गंभीर व लाइलाज जन्मजात विकार में शामिल किया गया है।
वहीं, गुणसूत्र में असामान्यता की बात करें, तो किसी भी स्वस्थ व्यक्ति में जोड़ों के साथ 23 गुणसूत्र होते हैं, जिनमें से 22 गुणसूत्र के जोड़ें महिला और पुरुष में एक तरह के होते हैं। इन 22 जोड़ों के गुणसूत्र को ऑटोसोम कहा जाता है।
वहीं, गुणसूत्र का 23वां जोड़ा महिला व पुरुष में अलग-अलग होते हैं। इनमें महिलाओं के 23वें गुणसूत्र के दोनों जोड़ों को XX कहा जाता है और पुरुषों के 23वें गुणसूत्र के जोड़े को XY कहा जाता है। इसकी तरह अगर किसी बच्चे की शरीर की कोशिकाओं में इन्हीं गुणसूत्र की संख्या कम या ज्यादा हो जाए, तो उन बच्चों में डाउन सिंड्रोम हो सकता है।
डाउन सिंड्रोम के कारण – बच्चों में डाउन सिंड्रोम के कारण विभिन्न परिस्थितियों पर निर्भर कर सकते हैं, जैसेः
• माँ या पिता को डाउन सिंड्रोम होना
• परिवार में डाउन सिंड्रोम का इतिहास होना
• माँ का बहुत कम उम्र या फिर अधिक उम्र में गर्भधारण करना
• गर्भधारण के दौरान पिता या माता से आसामान्य रूप से भ्रूण को गुणसूत्र मिलना
• परिवार में अनुवांशिक विकार का होना
• इसके पहले बच्चे में आनुवंशिक विकार होना
• 40 वर्ष या इससे अधिक उम्र में पिता बनना
• कई बार गर्भपात होना या मृत बच्चे का जन्म लेना
डाउन सिंड्रोम के लक्षण : इसके लक्षण शारीरिक, मानसिक स्तर पर साफ तौर पर देखे जा सकते हैं, जो निम्नलिखित हैंः-
बच्चे में शारीरिक तौर पर डाउन सिंड्रोम के लक्षण :
• कमजोर मांसपेशियां
• सामान्य से छोटी गर्दन, छोटे कान और छोटा मुंह
• चपटी नाक
• आंखों में भेंगापन
• सामान्य से अजीब हाथों की हथेलियां
• आंखों में सफेद धब्बे या मोतियाबिंद या दोनों
• सामान्य से अजीब हाथों की हथेलियां
• आंखों में सफेद धब्बे या मोतियाबिंद या दोनों
• सामान्य से छोटा कद
• बहरापन
• सपाट सिर
• जन्मजात हृदय दोष
• असामान्य हाथ पैरों की बनावट
• आंखों का उभरा हुआ होना
• जीभ का उभरा हुआ होना
• बोलने में परेशानी
• बच्चों की चाल में असुविधा
• मोटापा
• सांस लेने में दिक्कत
• थायराइड
• त्वचा का संक्रमण
• मलमूत्र संबधी समस्या
डाउन सिंड्रोम के मानसिक लक्षण :
• बच्चे का मंद बुद्धि का होना
• बच्चे में सोचने-समझने का धीमी शक्ति होना
• बच्चे में बार-बार भूलने की आदत होना
• बच्चे को सीखने, लिखने, पढ़ने, खेलने व अन्य कामों में परेशानी होना
• बच्चे का गुस्सैल स्वभाव
• डरपोक होना
डाउन सिंड्रोम जोखिम कारक:
इस विकार के कई जोखिम कारक हैं, कुछ प्रमुख कारक निम्नलिखित है-
• अगर कोई महिला 35 की उम्र के बाद गर्भवती होती है, तो बच्चे को डाउन सिंड्रोम का जोखिम बढ़ सकता है।
• अगर आपका पहला बच्चा डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हो।
• अगर मां या पिता डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हो।
डाउन सिंड्रोम की जांच-
गर्भावस्था के दौरान एक स्क्रीनिंग टेस्ट और डायग्नोस्टिक टेस्ट किया जाता है, जिसमें इस बीमारी का पता लगाया जाता है।डिलीवरी के बाद, आपके बच्चे का एक रक्त सैंपल लिया जा सकता है, जिसमें 21वें क्रोमोसोम की जांच की जाती है।
स्क्रीनिंग टेस्ट, डायग्नोस्टिक टेस्ट और रक्त सैंपल की मदद से डाउन सिंड्रोम की जानकारी मिल सकती है। दंपत्ति के पारिवारिक इतिहास को ध्यान में रखकर डाउन सिंड्रोम की जानकारी के लिए ये सारी जांचें की जा सकते है।
डाउन सिंड्रोम का उपचार-
इस विकार का पूरी तरह से इलाज नहीं किया जा सकता है। लेकिन इस विकार से ग्रस्त बच्चे को जल्दी से जल्दी चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए क्योंकि थेरेपी और प्रशिक्षण के द्वारा उनके जीवन को आसान बनाया जा सकता है माना कि डाउन सिंड्रोम का पूर्ण रूप से इलाज नहीं किया जा सकता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इसे ग्रस्त बच्चा आत्मनिर्भर जीवन नहीं जी सकता है।
Article by: Noopur Chauhan, Jr. Editor, Ability India, Kanpur, UP
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